अनुलोम विलोम प्राणायाम योग का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जिसे नियमित रूप से करने से कई शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं तो दोस्तों! आज के इस लेख में हम आप को बताएंगे की anulom vilom kaise karte hain और साथ में यह भी जानेंगे की अनुलोम विलोम करने से क्या-क्या लाभ होतें है। अनुलोम विलोम साँस लेने एवं छोड़ने की एक ऐसी योग प्रक्रिया है, जिसे करने से मुख्य रूप से स्वसन तंत्र और तंत्रिका तंत्र बेहतर होता है। अनुलोम विलोम आपके मन और मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। तो दोस्तों आइये जानते हैं की अनुलोम विलोम कैसे करते हैं और इसके फायदे क्या हैं-
anulom vilom kaise karte hain
- अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से पहले आप एक स्वच्छ एवं साफ वातावरण में बैठने का चुनाव करें क्योकि स्वच्छ और शांत वातावरण में मन को शांति की अनुभूति होती हैं और ध्यान केन्द्रित करने में आसानी होती है।
- अब आप सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएँ इसमें आपको यह ध्यान रखना है की आपके रीढ़ की हड्डी सीधी और शरीर सीधा होना चाहिए।
- सुखासन के अलावा आप चाहे तो अपनी सुविधानुसार वज्रासन या पद्मासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
- इसमें आपको यह ध्यान रखना है की आपके रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
- अनुलोम विलोम को करते समय आपके चेहरे पर किसी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए।
- यह बात आपको ध्यान में रखना है की अनुलोम विलोम हमेशा बाएँ नासिका से शुरू होता है और बाएँ नासिका पर ही समाप्त होता है।
- सुखासन में बैठने के बाद आप अपने दाहिने अंगूठे से दाहिने नासिका छिद्र को बंद कर लें।
- फिर इसके बाद बाएँ नासिका से श्वास को भीतर की ओर खीचें।
- फिर बाएँ नासिका छिद्र को अपने दाहिने हाथ के अनामिका उंगली से बंद करके दाहिने नासिका से साँस को बाहर की ओर छोड़े।
- फिर दाहिने नासिका को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद करके बायीं नासिका से स्वांस को स्वांस को अन्दर की ओर खीचें और फिर दाहिने नासिका को बाएं हाथ के अनामिका अंगुली से बाएँ नासिका को बंद करके श्वाँस को बाहर छोड़ दें।
- अगर आप अभी बिगनर है तो इस साँस लेने और छोड़ने की प्रकिया को 3 मिनट तक करें, फिर धीरे-धीरे हर दिन अपने टाइम को बढ़ाते जाएँ।
अनुलोम विलोम के फायदे
मानसिक स्वास्थ में सुधार
नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से आपका मानसिक स्वास्थ बेहतर होता है। इससे शरीर फुर्तीला रहता है और मन प्रसन्न रहता हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम मन में सकारात्मक विचार और शांति लता है जिससे व्यक्ति धैर्यवान और शांत महसूस करता है। यह गुस्सा और चिडचिडेपन जैसे नकारात्मक भावनाओं को कम करने में मदद करता है।
फेफड़े मजबूत होते हैं
अनुलोम विलोम के नियमित अभ्यास से फेफड़े मजबूत होती है और उनकी आयु में भी वृद्धि होती है। साँस लेने की समस्याओं जैसे- अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में भी लाभ होता है। इसमें स्वांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया के कारण फेफड़े स्वास्थ और मजबूत बने रहते हैं।
तनाव से मुक्ति
अनुलोम विलोम करने से तनाव और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं को कम होती हैं और मन हल्का रहता है। यह शरीर और मन को रिलेक्सेशन अवस्था में ले जाता है जिससे तनावपूर्ण स्थितियों में भी मन शांत और चिंतामुक्त रहता है।
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रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
अनुलोम विलोम करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। जिससे शरीर को बिमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। यह मौसमी फ्लू, सर्दी-जुखाम व अन्य सक्रमण बिमरियों से बचाने में सहायक हैं।
मस्तिष्क को सक्रीय बनाता है
नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से दिमाग सक्रिय रहता है, जिससे सोचने समझने की क्षमता में वृद्धि होती है और यादाश्त भी मजबूत होती है। अनुलोम विलोम की प्रक्रिया में गहरी साँस लेने और छोड़ने से मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है जिससे मस्तिष्क फुर्तीला रहता है और उसके कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है।
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चेहरे पर निखार लाता है
अनुलोम विलोम करने से हमारे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन का आदान-प्रदान पर्याप्त मात्रा में होता है जिससे शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल पाती है। शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन और बेहतर रक्त संचार से त्वचा में निखार और चमक आती है।
ह्रदय स्वास्थ में सुधार
अनुलोम विलोम करने से ह्रदय स्वास्थ में सुधार होता है और ह्रदय के कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है।
रक्त की शुद्धी
अनुलोम विलोम करने से रक्त की शुद्धी होती है क्योकि इस प्रक्रिया में हम शुद्द अक्सीजन को अन्दर लेते हैं। शुद्ग और फ्रेश अक्सीजन से खून साफ होता है।
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अनुलोम विलोम की शुरुआत कैसे करें?
अनुलोम विलोम की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले आप सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएँ। इसमें आपको आपने रीढ़ की हड्डी सीधा रखना हैं और यह ध्यान रहे की अनुलोम विलोम की शुरुआत हमेशा बायीं नासिका से होती है।
सुखासन में बैठने के बाद आप अपने दाहिने अंगूठे से दाहिने नासिका छिद्र को बंद कर लें और फिर बाएँ नासिका से श्वास को भीतर की ओर खीचें।
इसके बाद फिर बाएँ नासिका छिद्र को अपने दाहिने हाथ के अनामिका उंगली से बंद करके दाहिने नासिका से साँस को बाहर की ओर छोड़े।
फिर दाहिने नासिका को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद करके बायीं नासिका से साँस को अन्दर की ओर खीचें और फिर दाहिने नासिका को बाएं हाथ के अनामिका अंगुली से बाएँ नासिका को बंद करके श्वाँस को बाहर छोड़ दें।
खाने के कितनी देर बाद अनुलोम विलोम करना चाहिए?
अनुलोम विलोम करने का सबसे अच्छा समय सुबह और खाली पेट माना जाता है, लेकीन आप यदि आप खाने के बाद अनुलोम विलोम करते हैं तो आपको खाने के 1 से 2 घंटे बाद करना चाहिए।
क्या मैं रात के खाने के बाद अनुलोम विलोम कर सकती हूँ?
हाँ! आप रात को खाने के बाद अनुलोम विलोम कर सकती हैं, लेकीन ध्यान रहे की रात के खाने के 3 से 4 घंटे बाद ही अनुलोम विलोम करें।
अनुलोम विलोम करने से कौन से रोग ठीक हो सकते हैं?
अनुलोम विलोम करने से श्वसन सम्बंधित समस्यायें जैसे- अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से राहत मिलती है। इसके साथ ही अनुलोम विलोम करने से फेफड़े मजबूत होते हैं और मन एकाग्र और शांत रहता हैं।