सूर्य नमस्कार शरीर और मन के ताल मेल से 12 चरणों और 8 आसनों में किया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण योग क्रिया है। सूर्य नमस्कार सभी योग क्रियाओं में से सबसे श्रेष्ट योग क्रिया है। सूर्य नमस्कार का अर्थ होता है सूर्य को नमस्कार करना या सूर्य के प्रति कृतज्ञता अर्पित करना। सूर्य नमस्कार को नियमित करने से महत्वपूर्ण लाभ होते हैं। यह शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक स्वास्थ बेहतर बनाता है इसे नियमित करने से मन और शरीर दोनों सक्रिय रहते हैं।
surya namaskar steps and benefits in hindi
1. प्रणाम आसन
- इस आसन में आप सबसे पहले सुबह के समय खुली और स्वच्छ वातावरण में अपने दोनों पैरों को मिलते हुए शरीर सीधा करके खड़े हो जाए।
- अपने कन्धों को सीधा रखे, कंधे पीछे या आगे की और झुके ना हों।
- चेहरा सीधा और प्रसन्न मुद्रा में रखें, चेहरे पर किसी तरह का तनाव ना हो।
- अब अपनी दोनों हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में जोड़े और अपनी दृष्टि शीधी रखें।
- इसके पश्चात अपनी नासिका से गहरी साँस ले, फिर धीरे-धीरे साँस को बाहर छोड़े।
2. हस्त उत्थानासन
- अब प्रणाम आसन से सीधे हस्त उत्थानासन में आ जाएँ। इस आसन में आप नमस्कार की स्थिति से अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जायें, इसके साथ ही कमर से सिर तक का भाग पीछे की ओर झुकाएं और दोनों झुके हुए हों।
- पैरों के घुटने सीधे और एक दूसरे से जुड़े हुए हों, गर्दन पीछे और दृष्टि आकाश की करें।
- इसके बाद गहरी साँस लें।
3. पाद हस्तासन
- हस्त उत्थानासन के बाद पाद हस्तासन की शुरुआत करें, इसके लिए सबसे पहले आप पीछे की ओर तना हुआ ऊपरी भाग कमर से मोड़कर आगे की ओर झुकायें।
- इसके बाद अपने दोनों हाथ के पंजों को जमीन से स्पर्स करें, लेकिन ध्यान रहे की ऐसा करते समय आपके घुटने सीधे होने चाहिए।
- इसके बाद अपने घुटनों को सिर से छूने का प्रयास करें।
- इसमें यह ध्यान रखे की केवल कमर से सिर तक का भाग आगे की ओर झुकायें और टुड्डी गर्दन की ओर झुकी हुई हो और एडी से कमर तक का भाग सीधा रखें।
4. अश्व्संचालनासन
- अश्व्संचालनासन में दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन से टिकाकर उन पर शरीर का भार देकर बाएँ पैर को सीधे पीछे की ओर ले जाएं।
- जो बायां पीछे की ओर लिया है उसका घुटना जमीन पर टिकाएँ और पैर की अंगुलियों को भी जमीन से स्पर्स करें।
- अब दाहिना पैर मोड़कर दोनों हाथों के बीच में रखें, इस स्थिति में दोनों हाथों की और दायें पैर के अंगुलियाँ एक सीधी रेखा में हों।
- इसके बाद कमर आगे की ओर हल्का दबाएँ और हाथों पर थोडा जोर देकर कंधे को थोडा पीछे करें और चेहरे को हल्का ऊपर उठाएं।
- स्वास को भीतर लें।
5. दण्डासन
- दण्डासन के लिए अश्व्संचालनासन में घुटने से मुड़ा दाहिने पैर को पीछे की ओर बाएँ पैर के समान फैलाएं, इस स्थिति में पैरों की एडियाँ ऊपर की ओर और अंगुलियाँ नीचे की ओर जमीन से टिकी होनी चाहिए।
- अपने शरीर का भर मध्य में रखें।
- शरीर का अग्र भाग ऊपर की ओर और पीछे का भाग हल्का नीचे की ओर रखें।
- चेहरा और दृष्टि सामने की ओर रखें, अब स्वास को बाहर की ओर छोड़।
6. अष्टांगासन
- दण्डासन के बाद अष्टांगासन आता हैं। अष्टांगासन में दोनों पैरो की अँगुलियों को जमीन पर दण्डासन जैसी ही रखे और दोनों पैरों की घुटनों, दोनों हाथों के पंजे और सीने को जमीन पर टिकायें।
- इसके बाद माथे को जमीं पर टेंक कर धरती को नमन करें।
- इस बात का ध्यान रखे की नाभि जमीन पर ना लगे और कमर को हल्का ऊपर की ओर उठाये रखें।
7. भुजंगासन
- अष्टांगासन के बाद भुजंगासन करने के लिए दोनों हाथो की कोहनियों को सीधा करके कमर से ऊपर का भार हाथो पर देकर सीने को ऊपर की ओर उठाएं।
- इसमें सिर को पीछे की ओर उठाएं और चेहरे की टुड्डी को ऊपर की ओर उठाएं और दृष्टि को आकाश की केन्द्रित करें।
- कमर से पैर तक का हिस्सा पीछे की ओर फैलाएं ध्यान रहे की आपकी पैर की अंगुलियाँ जमीन से स्पर्स होनी चाहिए।
- अब साँस को अन्दर की लें
8. पर्वतासन
- अब भुजंगासन से सीधे पर्वतासन में आयें, इसमें भुजंगासन से सीधे कमर वाले भाग से शरीर को तिकोने पर्वत के आकार में शरीर को ऊपर की ओर उठायें।
- दोनों पैरों की एडी और हाथ के पंजो को जमीं पर टिकाये रखें।
- चेहरा नीचे की ओर हल्का मुड़ा हुआ रखें और टुड्डी गले से स्पर्श होना चाहिए।
- अब साँस को बाहर की ओर छोड़ें।
9. अश्व्संचालनासन
- अब पुनः अश्व्संचालनासन की मुद्रा में आयें, लेकीन ध्यान रखें की अबकी बार बाएं पैर को घुटने से मोड़कर सामने की ओर लायें। इसके साथ ही सिर को भी आगे की ओर लायें।
- इस स्थिति में दोनों हाथों की और बाएं पैर की अंगुलियों को एक सीधी रेखा में रखें।
- इसके बाद कमर आगे की ओर दबाएँ और हाथों पर थोडा जोर देकर कंधे को थोडा पीछे करें और चेहरे को हल्का ऊपर उठाएं।
- श्वास को भीतर की ओर खीचें।
10. पाद हस्तासन
- अश्व्संचालनासन की मुद्रा से अब वापस पाद हस्तासन की मुद्रा में आयें, इसके लिए अश्व्संचालनासन में पीछे किये हुए पैर को दोनों हाथों के बीच में लायें।
- अब अपने पैरों की घुटनों को सीधा करते हुए अपने शरीर को कमर से मोड़कर नीचे की ओर पैर तक झुकाएं।
- इस क्रिया में अपने सिर को घुटनों से स्पर्स कराएँ और आंख को बंद रखें।
- साँस को बाहर छोड़ दें।
11. हस्त उत्तानासन
- पाद हस्तासन के बाद अब हस्तासन में आयें, इसके लिए सबसे पहले अन्दर की ओर साँस को भरे और अपने शरीर को ऊपर की ओर उठायें।
- इसके बाद कमर से ऊपर के हिस्से को हल्का पीछे की ओर झुकाएं।
- दोनों हाथों को पीछे की ओर फैलायें और चेहरे को ऊपर की ओर रखें दृष्टि को आकाश की ओर केन्द्रित करें।
12. प्रणाम आसन
- अब पुनः प्रणाम आसन में आयें, सबसे पहले आप साँस को छोडिए और शरीर को सीधा करते हुए दोनों हाथों को आगे की ओर लायें।
- अब हथेलियों को नमस्कार की मुद्रा में जोड़ लीजिये चेहरा सीधा और दृष्टि सामने की ओर केन्द्रित करें।
सूर्य नमस्कार करने का सही समय
- सुबह के समय सूर्य नमस्कार करना सबसे सही समय माना जाता है, क्योंकि सुबह सूर्य नमस्कार करने से और बेहतर स्वास्थ लाभ मिलते हैं।
- सुबह का वातावरण शांत होता है और हवा ताजी एवं शुद्ध होती हैं।
- सूर्य नमस्कार हमेशा बाहर स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार के फायदे
सूर्य नमस्कार अपने आप में एक पूर्ण साधना है क्योकि इसमें 12 चरण और 8 आसन होते हैं, जिसे करने से कई स्वास्थ लाभ होते हैं। सूर्य नमस्कार के करने से कई शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक लाभ होतें हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. शारीरिक स्वास्थ
- सूर्य नमस्कार से पूरे शरीर की कसरत होती है इससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर लचीला बनता है।
- सूर्य नमस्कार करने से फेफड़े, ह्रदय, कमर गर्दन और जंघे मजबूत होते हैं।
- पाचन तंत्र में सुधार होता है, पेट की चर्बी को कम होती है जिससे वजन भी कम होता है।
- रीड की हड्डियाँ मजबूत और लचीली होती हैं।
2. मानसिक स्वास्थ
- सूर्य नमस्कार नियमित करने से मस्तिष्क स्वस्थ और फुर्तीला रहता है।
- सूर्य नमस्कार करने से तनाव और चिंता को कम होती है।
- मन शांत और एकाग्र रहता है।
3. रक्त संचार में वृद्धि
- सूर्य नमस्कार करने से रक्त संचार में वृद्धि होती है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक रक्त की सहीं आपूर्ति होती है।
4. प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
- नियमित सूर्य नमस्कार करने से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती हैं, जिससे हमें रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
FAQ- Related to surya namaskar steps and benefits in hindi
सूर्य नमस्कार 12 चरण कौन से हैं?
सूर्य नमस्कार में 8 आसन और 12 चरण होते हैं 12 चरणों के नाम- 1. प्रणाम आसन, 2. हस्त उत्थानासन, 3. पाद हस्तासन, 4. अश्व्संचालनासन, 5. दण्डासन, 6. अष्टांगासन, 7. भुजंगासन, 8. पर्वतासन, 9. अश्व्संचालनासन, 10. पाद हस्तासन, 11. हस्त उत्तानासन, 12. प्रणाम आसन।
सूर्य नमस्कार से कौन से रोग ठीक होते हैं?
नियमित रूप से सूर्यनमस्कार करने कई स्वास्थ लाभ होते हैं। पाचन क्रिया ठीक रहती हैं, मांसपेशियां मजबूत होती हैं, शरीर लचीला एवं फिट रहता है, ह्रदय और फेफड़े के रोगों का रिस्क कम हो जाता है और मन चिंता मुक्त और शांत रहता है।
सूर्य नमस्कार कम नहीं करना चाहिए?
जब आपके घुटनों में दर्द हो, आपका ब्लड प्रेशर हाई हो, या आपकी किसी प्रकार की सर्जरी हुई हो तो ऐसी स्थिति सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए।